थोड़ी चुप्पी थोड़ा शोर
थोड़ी- सी चुप्पी थोड़ा शोर है
मेरे दिल के आँगन में बैठा चोर है
मेरे जहन में बस्ती है किसी ओर की बाते
मानों फिल्म मेरी में, किसी ओर का रोल है
थोड़ी- सी चुप्पी थोड़ा शोर है
अकेले में भी रहती हूँ मदहोश
होंठों पे हंसी दिल में रोर है
यूँ जान देने वाले एक लाख है मुझपे
पर मेरी चाहत तो बस तुम्हारी ओर है
बड़ी दुआ से माँगा है ये रूह-ए- इलाही का रिश्ता
जो कभी ना टूटेगा , इसमें ऐसा जोड़ है
थोड़ी-सी चुप्पी ,थोड़ा शोर है
मेरे दिल के आँगन में बैठा चोर है ।
मेरे दिल के आँगन में बैठा चोर है
मेरे जहन में बस्ती है किसी ओर की बाते
मानों फिल्म मेरी में, किसी ओर का रोल है
थोड़ी- सी चुप्पी थोड़ा शोर है
अकेले में भी रहती हूँ मदहोश
होंठों पे हंसी दिल में रोर है
यूँ जान देने वाले एक लाख है मुझपे
पर मेरी चाहत तो बस तुम्हारी ओर है
बड़ी दुआ से माँगा है ये रूह-ए- इलाही का रिश्ता
जो कभी ना टूटेगा , इसमें ऐसा जोड़ है
थोड़ी-सी चुप्पी ,थोड़ा शोर है
मेरे दिल के आँगन में बैठा चोर है ।
थोड़ी चुप्पी थोड़ा शोर
Reviewed by Amar Nain
on
9/28/2018
Rating:
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