शायद जायज है
Amar Nain
9/29/2018
अल्फाजों की डोर से जो तुम मेरे किस्से बनाते हो संभलती हुई को मुझे , उदेड़ से जाते हो फिर भी मेरा रूस्वां ना होना शायद जायज है आसंमा की...Read More
शायद जायज है
Reviewed by Amar Nain
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9/29/2018
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