अंधेरा रात का
आफताब डलने दो
फिर अँधेरा छाएगा
इन छलकती पलकों को
कोई ना देख पाएगा
तड़पन सी घुली है रूह में
राह की चुप्पी का शमां , अनचाहे में पसंद हो जाएगा
निकल जाना दिलासा देकर , तुम भी यहां चुपके से
अंधेरें में कौन तुम्हारे , पगो के निशान देख पाएगा ?
किस्मत ने की हो बेईमानी जिसके संग, उसको ख्वाब क्या सुकून दिलाएगा
तुम चिंता मत करो
रोता बिखलाता हुअा वो, अपने आप सो जाएगा
डरो मत
अगले दिन के उजाले में , वो किसी को आसूं नही दिखाएगा ।
फिर अँधेरा छाएगा
इन छलकती पलकों को
कोई ना देख पाएगा
तड़पन सी घुली है रूह में
राह की चुप्पी का शमां , अनचाहे में पसंद हो जाएगा
निकल जाना दिलासा देकर , तुम भी यहां चुपके से
अंधेरें में कौन तुम्हारे , पगो के निशान देख पाएगा ?
किस्मत ने की हो बेईमानी जिसके संग, उसको ख्वाब क्या सुकून दिलाएगा
तुम चिंता मत करो
रोता बिखलाता हुअा वो, अपने आप सो जाएगा
डरो मत
अगले दिन के उजाले में , वो किसी को आसूं नही दिखाएगा ।
अंधेरा रात का
Reviewed by Amar Nain
on
10/07/2018
Rating:
No comments: